लाल किले के संचालन का निजीकरण — “विक्रीते करिणि किमंकुशे विवाद” !! अर्थात जब हाथी ही बेच दिया तो अंकुश का क्या झगड़ा ?
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भारत में लाखों लोग रोज रेलवे प्लेटफोर्म का इस्तेमाल करते है, और एक आवश्यक सेवा होने के कारण रेलवे का इस्तेमाल करना जरुरी है। इससे बचा नहीं जा सकता। मोदी साहेब ने रेलवे के साथ रेलवे प्लेटफोर्म भी निजी कम्पनियों के हवाले कर दिए। अब निजी कम्पनियां इन प्लेत्फोर्म्स का उपयोग मुनाफा कमाने में करेगी। और यह मुनाफा सेवाओं के रूप में आम नागरिक यात्रियों से वसूला जाएगा।
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निजी कम्पनियां इस आवश्यक सेवा एवं राष्ट्रिय संपत्ति का दोहन कर सकेगी। इसी तरह से सरकारी स्कूल एवं सरकारी अस्पताल जैसी आवश्यक संस्थाओ को लगातार बदतर किया गया एवं इनके निजीकरण को बढ़ावा दिया गया। एयरपोर्ट से लेकर , खदाने , बैंक से लेकर ऊर्जा, तक सभी राष्ट्रीय संपत्तियां निजी कंपनियों को बेची जा रही है। तो बिकवाली के इस भम्भड़ में लाल किला तो बहुत ही अदना मुद्दा है। अच्छी बात यह हुयी कि सरकार ने डालमियाँ समूह को वहां पर प्लाट काट कर बेचने की अनुमति नहीं दी। मेहरबानी !!
List Of Adopted Sites- http://www.adoptaheritage.in/pdf/list_of_adopted_sites_2017.pdf
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लाल किला एक अद्वितीय एवं अपने आप में अनूठी ईमारत है। इसका अपना ऐतिहासिक महत्त्व है। देश की राजधानी के दिल में बसी हुयी इस ईमारत के मेंटेनेंस का ठेका भी निजी हाथों में सौंप देना यह दिखाता है कि सरकार प्रबंधन में निकम्मी है , और उनका आत्म गौरव जमीन चाट रहा है। अन्य क्षेत्रो में निजीकरण इसीलिए किया गया क्योंकि संघ के नेता निकम्मे होने के साथ साथ भ्रष्ट भी है। अत: उन्होंने निजीकरण के एवज में घूस खाकर पैसे बनाये।
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लेकिन लाल किले जैसे राष्ट्रिय प्रतिक को निजी हाथों में सौंप देना सरकार के निकम्मेपन को दर्शाता है। इस फैसले में यह स्वीकारोक्ति है कि — हम सिर्फ बेच सकते है , इन्हें ठीक नहीं कर सकते। लाल किला सिर्फ एक इमारत है। सिर्फ एक इमारत। ऐसी इमारत का प्रबधन करने के लिए किसी विशेष तकनीक या योग्यता की जरुरत नहीं होती। लेकिन सरकार की हैसियत एक इमारत का प्रबंधन करने की भी नहीं रही है। और नीयत तो खैर है ही नहीं।
देव नगरी बनारस में सैंकड़ो साल पुराने सैंकड़ो मंदिर “विकास” की चपेट में आ गए है, अत: इन्हें गिराया जा रहा है !! कुछ 100 से ज्यादा पौराणिक मंदिर निशाने पर है। हमारा प्रस्ताव है कि ऐसी किसी भी योजना पर पहले स्थानीय नागरिको की अनुमति ली जानी चाहिए। सरकार योजना का नक्शा एवं योजना की चपेट में आने वाले घर-मंदिर आदि बनारस की जनता के सामने रखे। इस पर जनमत संग्रह कराया जाए। कोई स्वतंत्र व्यक्ति भी अपनी वैकल्पिक योजना इस जनमत संग्रह में रख सकते है।
संघ के सभी स्वयंसेवको ने इस मुद्दे पर जनमत संग्रह करने का विरोध करना शुरू कर दिया है। उनका मानना है कि इस बारे बनारस की जनता से राय लिए जाने की जरूरत नहीं है। मोदी साहेब ने जो भी आदेश दिए है वो ठीक है। कोंग्रेस एवं आम आदमी पार्टी के नेता भी जनमत संग्रह का विरोध कर रहे है।
https://www.youtube.com/watch?v=aHXY0RFEtEs
समाधान ?
जनमत संग्रह प्रक्रियाएं एवं राईट टू रिकॉल पीएम क़ानून न होने का यह नतीजा है। इन प्रक्रियाओ के अभाव में अब सत्ताधारी लोग यह दर्शाने में सफल हो जाते है कि हमें जनता ने लाल किला बेचने के लिए ही वोट दिया था। देखो हमारे पास बहुमत है !! हमें अगले 5 साल तक सब कुछ करने की छूट है। और यह सब कुछ हम इस नाम पर करेंगे कि जनता हमारे साथ है।
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राईट टू रिकॉल पीएम का क़ानून एवं जनमत संग्रह की प्रक्रिया इस तरह की मनमानी पर रोक लगाती है। यदि भारत में राईट टू रिकॉल पीएम क़ानून या टीसीपी(ट्रांसपेरेंट कंप्लेंट प्रोसीजर) अर्थात पारदर्शी शिकायत प्रणाली होता तो जनता मोदी साहेब को अपना अनुमोदन देकर या बता सकती थी कि — हमने तुम्हे लाल किले का सञ्चालन निजी हाथो में देने के लिए वोट नहीं किया था। तुम्हे जिस काम के लिए वोट किया है वह काम करो।”
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लेकिन इन प्रक्रियाओ के अभाव में संघ के स्वयंसेवक अब नागरिको को यह कह रहे है कि — हमारे सभी फैसलों में जनता की सहमती है।
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हम लगातार यह बात कह रहे है कि — राईट टू रिकॉल कानूनों के बिना ये लोग किसी भी तरह से सुधरने वाले नहीं है। अत: यदि आप चाहते है कि आपके द्वारा चुना हुआ नेता आपके ही समर्थन का हवाला देकर देश को मटियामेट न कर दें , तो राईट टू रिकॉल पीएम एवं टीसीपी क़ानून की मागं करें। इन कानूनों के आने से आप देश के प्रधानमन्त्री के सामने अधिकृत रूप से यह दर्ज कर सकेंगे कि किस फैसले में आप पीएम के साथ है और किस में नहीं।
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और फिर भी यदि पीएम जनमत की अवहेलना करता है तो बहुमत का प्रदर्शन करके आप उन्हें नौकरी से निकालने की प्रक्रिया शुरू कर सकते है। जैसे ही आप पीएम को नौकरी से निकालने की प्रक्रिया शुरू करेंगे वैसे ही पीएम सुधर कर सूत की तरह सीधा हो जाएगा। नौकरी से निकालने की नौबत नहीं आएगी।
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इन कानूनों के प्रस्तावित ड्राफ्ट देखें – https://www.facebook.com/notes/1479571808802470
- राष्ट्रीय हिन्दू देवालय प्रबंधक ट्रस्ट’ के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475746769184974
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भारतीय संप्रदाय देवालय प्रबंधक ट्रस्ट’ के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475732095853108
- राईट टू रिकॉल मंत्री के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1476084522484532
- राईट टू रिकॉल प्रधानमंत्री के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1476078685818449
- पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475756632517321
- सांसद व विधायक के नंबर यहाँ से देखें nocorruption.in/
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अपने सांसदों/विधायकों को उपरोक्त क़ानून को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून लागू करवाने के लिए उन पर जनतांत्रिक दबाव डालिए, इस तरह से उन्हें मोबाइल सन्देश या ट्विटर आदेश भेजकर कि:-.
“माननीय सांसद/विधायक महोदय, मैं आपको अपना एक जनतांत्रिक आदेश देता हूँ कि‘ “
- पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475756632517321
को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से इस क़ानून को लागू किया जाए, नहीं तो हम आपको वोट नहीं देंगे.धन्यवाद,मतदाता संख्या- xyz ”इसी तरह अन्य ड्राफ्ट के लिए भी आदेश भेज सकते हैं ..आप ये आदेश ट्विटर से भी भेज सकते हैं. twitter.com पर अपना अकाउंट बनाएं और प्रधानमंत्री को ट्वीट करें अर्थात ओपन सन्देश भेजें.ट्वीट करने का तरीका: होम में जाकर तीन टैब दिखेगा, उसमे एक खाली बॉक्स दिखेगा जिसमे लिखा होगा कि “whats happening” जैसा की फेसबुक में लॉग इन करने पर पुछा जाता है कि आपके मन में क्या चल रहा है- तो अपने ट्विटर अकाउंट के उस खाली बॉक्स में लिखें ” @PMO India I order you to print draft “#TCP fb.com/notes/1475756632517321 in gazette notification asap” . इसी तरह अन्य ड्राफ्ट के लिए भी आदेश भेज सकते हैं .
बस इतना लिखने से पी एम् को पता चल जाएगा, सब लोग इस प्रकार ट्विटर पर पी एम् को आदेश करें.
याद रखिये कि इस तरह की सभी मांगों के लिए सौ-पांच सौ की संख्या में एकत्रित होकर ही आदेश भेजिए, इसी तरह से अन्य कानूनी-प्रक्रिया के ड्राफ्ट की डिमांड रखें. यकीन रखे, सरकारों को झुकना ही होगा.
1) http://www.adoptaheritage.in/pdf/Adopt-a-Heritage_Guidelines.pdf
2) http://www.adoptaheritage.in/pdf/list_of_adopted_sites_2017.pdf
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हमारी विरासत को लीज पर देने से क्या होगा:
फेडरल बैंक की स्थापना अमेरिका में करने के लिए अमेरिका बैंकिंग के उन सभी लोगों ने जो फ़ेडरल की स्थापना करने का विरोध कर रहे थे,उनके लिए स्पेशल टाइटैनिक जहाज बनवाया था और इसमें कई लोगों को उनके ऑफिस की तरफ से छुट्टियाँ भी दी गयीं की वे समुद्र घूम आयें..
इनमे वे लोग भी थे जो इस इस बैंक की स्थापना वहां करने के विरुद्ध थे और फ़ेडरल के समर्थक ब्रिटेन के यहूदी बैंकिंग माफिया के भी लोग थे,लेकिन इन लोगों ने अंत समय में अपने टिकेट कैंसिल करवा लिये।
टाइटैनिक को प्लान के अनुसार डुबा कर सभी विरोधियों को मौत के घाट उतार दिया गया।
इसके बाद ही अमेरिका में फ़ेडरल बैंक की स्थापना ब्रिटेन ने की थी।अब आप पूंछेगे की आपने फेडरल को Heritage adoption से क्यों जोड़ा?
उसका उत्तर है क्योंकि उनकी नजर हमारे देश के सभी एंटीक आइटम्स पे शुरू से है।हमारे देश से अनखों बहुमूल्य रत्न सोना चांदी मूर्तियां चोरी हुई है।जिसकी तस्करी वे लोग यहाँ १९४७ के पहले से ही कर रहे हैं और किसी सरकार में इसे रोकने का दम नहीं है और जो सभी बड़ी कंपनियों ने जो यहाँ हेरिटेज को अडॉप्ट किया है,उनके मालिक बैंकिंग के भी मालिक हैं।२५ करोड़ से शुरू किया जाने वाली योजना,जो भारत सरकार के खर्चे के लिए एक मटर के दाने से ज्यादा बड़ी नहीं है, उस योजना के लिए आगे आने वाली कंपनियां बिना मुनाफे क्यों आगे आएँगी?
मीडिया के मालिक भी उनके कब्जे के अन्दर काम करते हैं, जिसे भारत में इजराइल, अमेरिका, ब्रिटेन व सऊदी अरेबिया नियंत्रित करती है।यहाँ सरकार के रूप में वे अपने आदमियों और अपने काम करने वालों को हाईलाइट करती है।
जनता सोचती है, कांग्रेस अच्छी थी या बीजेपी अच्छी या कोई अन्य दलित का काम करने वाला या भीमटा आदि आदि,लेकिन उसके प्रायोजक कहीं और बैठे हुए हैं।
क्या आपको ऐसा नही लगता कि अचानक ऐसे नए नए आंदोलन और दिल दहलाने वाली घटनाएं अचानक कैसे घट रहीं हैं?ये सब preplained हैं।
कोई भी सरकार जो मीडिया को नियंत्रित न कर सके,वो कभी अपने देश की धरोहर को नहीं बचा सकती ओर हमारे देश की धरोहर हमारी विरासत संस्कृति.. हमारी ऐतिहासिक प्राचीन इमारतें मन्दिर ओर पत्थर सोने चांदी पे लिखे लेख एवं बहुमुल्य रत्न हैं।अब आप प्रश्न करेंगे कि मुनाफे से देश के लिये नुकसान क्या होगा ओर हम लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
तो देखिये,ये एक लम्बा गेम है।उनका लक्ष्य धरती से हिन्दुओं और हिन्दू धर्म को समाप्त करना है।
क्योंकि हमारे धर्म में कुंडली जागरण,अन्य योग क्रियाएं,मन्त्र शक्तियां हैं जिनके सामने यू ऍफ़ ओ और इनका तमाम विज्ञान भी फेल है।यदि वे हमारी धरोहरों ओर संस्कृति को फायदे के लिए नियंत्रण में लेते हैं तो हिंदुत्व को नियंत्रित करना आसाना हो जाएगा क्योंकि देखिये, कि अंधश्रद्धा उन्मूलन,सन्तो को बदनाम करना, झूठी अफवाह उड़ाना आदि सब उनके अनुसार चलने वाला प्रोपेगेंडा था।
अब वो जैसे चाहें वैसे वहां होगा,भविष्य में होगा ,तुरंत तो बिलकुल नहीं क्योंकि वे लोग कभी भी जनता के भड़कने से बचने को तुरंत अपना सही फेस नहीं दिखाएँगे.
धीरे धीरे शंकराचार्यों को वे अपने अनुसार चलाएंगे और ये फैलायेंगे कि हम आपके हिन्दुइज्म के अनुसार चल रहे हैं, जबकि हो उसका उलट ही रहा होगा।
अभी एक बात और देखिये,वे मानवता का पाठ हमको पढाते हैं और हिन्दू धर्मकी हिंसात्मक चीजों को बंद करवा रहे हैं धीरे धीरे, जैसे काली भैरवनाथ, नरसिंह,दुर्गा,हनुमान जी आदि का रौद्र रूप।क्योंकि ये सब क्रांतिकारी देव हैं।इस तरह हमारे भगवान के हिंसात्मक स्वरूपों को नष्ट कर दिया जाएगा।ताकि न हिन्दू जागे ओर न कोई युद्ध आदि करे।भगवानों का हिंसात्मक रूप का फोटो केवल घरों में ही पाया जाएगा, जिसका सार्वजनिक निरूपण बैन हो जाएगा।
अब आपका प्रश्न है कि हमे क्या करना चाहिए तो सुनिये-
सभी मंदिरों को हिन्दू समाज के अधीन करने वाले ड्राफ्ट को क़ानून बनाने का मांग का दबाव बनाना चाहिए। राष्ट्रीय हिन्दू देवालय प्रबंधक ट्रस्ट’ के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475746769184974भारतीय संप्रदाय देवालय प्रबंधक ट्रस्ट’ के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475732095853108शंकराचार्य जी से मिलकर उनको इस विषय पर अवगत करवाना चाहिए और एक ऐसे हिन्दू संघठन का निर्माण करना चाहिए जो हिन्दू परम्पराओं,संस्कृति, प्राचीन धरोहरोंको ओर हिंदुओं के साथ हो रहे अन्याय अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाये, उनके लिए लड़े ओर उनको अपने देश मे सम्मान दिलवाये.
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जय हिन्द, जय भारत, वन्देमातरम ||