आर.टी.आई. में केन्द्र विभाग ने बोला कि उसे नहीं मालूम कि भारत में मरने वालों को क्या-क्या बीमारियाँ थीं, तो फिर किस आधार पर रोगियों के आंकड़ों का प्रचार किया जा रहा है ?

आर.टी.आई. में केन्द्र विभाग ने बोला कि उसे नहीं मालूम कि भारत में मरने वालों को क्या-क्या बीमारियाँ थीं, तो फिर किस आधार पर रोगियों के आंकड़ों का प्रचार किया जा रहा है ?

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– कार्यकर्ताओं ने पूछा कि करोना से मरने वालों के और कौन-कौन से दूसरे रोग थे, तो जवाब आया कि आप राज्य से पूछिए.
– जवाब National Centre for Disease Control के एक विभाग Integrated Disease Surveillance Programme ने दिया, जिनकी साईट है – idsp.nic.in
– इस केन्द्रीय विभाग का उद्देश्य रोगों पर निगरानी रखने के लिए बताया गया है और इनके राज्य और जिला स्तरीय पूरा नेटवर्क बताया गया है, तो फिर इन्होने जानकारी क्यों नहीं दी, ऐसा समझ से परे है
– यदि केन्द्र सरकार के पास मृतक सम्बन्धी पूरा डाटा ही नहीं है, तो फिर वो किस आधार पर देश में लोक-डाउन लगवा रहे हैं और आम नागरिकों का जीवन प्रभावित कर रहे हैं, ये भी समझ से परे है. सही सूचना के आधार पर निर्णय लिया जाना चाहिए और जनता को भी पूरी जानकारी दी जानी चाहिए
– इसलिए, हमें मीडिया द्वारा दिया गया आंकड़ों पर भरोसा नहीं करना चाहिए. इसका एक और कारण है कि करोना की किट के निर्माता ने बोला है कि ये किट जांच के लिए नहीं है, किट केवल शोध के लिए है.
– अच्छा येही है कि केवल जो बीमार हैं, उनकी चिकित्सा हो और उनका ही अलगाव हो – स्वस्थ व्यक्तियों का अलग का कोई तर्क नहीं निकलता
– दूसरे देशों में अधिक पारदर्शिता है क्योंकि वहाँ की सरकारों ने जनता को बताया है कि मरने वाले व्यक्तियों को कौन-कौनसे रोग थे . अमेरिका में कानून है कि यदि तीन बार एक ही विषय पर जानकारी की मांग सूचना अधिकार के अधीन आएगी, तो उसे स्वतः ऑनलाइन सार्वजानिक कर दिया जाता है. हमारे देश में भी ऐसा प्रावधान होना चाहिए

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